"Wings of Courage: The Inspiring Journey of Rajkumar Herojit Singh" "हौसलों की उड़ान: राजकुमार हीरोजीत सिंह की प्रेरणादायक कहानी"



 राजकुमार हीरोजीत सिंह

राजकुमार हीरोजीत सिंह का जीवन साहस, दृढ़ संकल्प और अटूट आत्मबल की मिसाल है। मणिपुर के एक छोटे से शहर सिंजामेई में जन्मे हीरोजीत को बचपन से ही आसमान से लगाव था। उनका सपना था — भारतीय वायुसेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना।

 सपनों की ओर पहला कदम : 

राजकुमार हेरोजीत सिंह का जन्म मणिपुर में हुआ था और बचपन से ही उनका सपना आसमान में उड़ने का था। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और फिर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) पुणे में शामिल हो गए। एनडीए में, उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें बटालियन कैडेट एडजुटांट बनना, स्विमिंग में एकेडमी ब्लेज़र और स्पोर्ट्स इंसिग्निया प्राप्त करना, और 119वें कोर्स में फिजिकल ट्रेनिंग में रजत पदक जीतना शामिल है।

एयरफोर्स अकादमी, हैदराबाद में, उन्होंने बेसिक फ्लाइंग स्टेज में तीसरा स्थान प्राप्त किया। 1999 में, उन्होंने भारतीय वायुसेना ज्वाइन की और फाइटर ट्रेनिंग विंग, हकीमपेट में स्टेज-2 फाइटर फ्लाइंग ट्रेनिंग ले रहे थे, तभी एक विमान दुर्घटना में उन्हें रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई और वे व्हीलचेयर पर आ गए। 

इस दुर्घटना के बावजूद, हेरोजीत सिंह ने हार नहीं मानी। भारतीय वायुसेना ने उन्हें अपने साथ रखने का फैसला किया और वे व्हीलचेयर का उपयोग करते हुए कमीशन पाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने,

लेकिन हीरोजीत सिंह ने हार नहीं मानी।हिम्मत से दोबारा जीना सीखा

अपनी रीहैबिलिटेशन के दौरान हीरोजीत ने पैरा-स्विमिंग (para-swimming) की शुरुआत की। शुरुआत में यह सिर्फ एक थेरेपी थी, लेकिन धीरे-धीरे यह उनका जुनून बन गया।

उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और भारत के लिए मेडल जीते। उन्होंने साबित किया कि सच्चा योद्धा वो होता है जो हालात से नहीं हारता।

NDA में उन्होंने कई उपलब्धियाँ हासिल कीं:

  • स्विमिंग में अकादमी ब्लेज़र प्राप्त किया।
  • स्पोर्ट्स इंसिग्निया से सम्मानित हुए।
  • शारीरिक प्रशिक्षण में सर्वश्रेष्ठ कैडेट का रजत पदक जीता।
  • हैदराबाद स्थित एयर फ़ोर्स अकादमी में फ्लाइंग ट्रेनिंग के बेसिक स्टेज में तीसरा स्थान पाया।

इतिहास रचते हुए वापसी :

अपने सपनों को टूटने नहीं दिया। हीरोजीत ने खुद एयर चीफ मार्शल से अपील की कि उन्हें वायुसेना में किसी गैर-फ्लाइंग भूमिका में सेवा करने का मौका मिले।
उन्हों Accounts Branch में स्पेशल ट्रेनिंग ली।
और फिर 22 जून 2013 को वे बने भारत के पहले व्हीलचेयर पर तैनात IAF अधिकारी।
उनकी वर्दी तो वही रही, लेकिन अब उन्होंने एक नई दिशा चुनी तैराकी।

 पैरा-स्विमिंग में शानदार सफलता :

स्विमिंग से पुराना लगाव था, जो इस बार उनकी ताकत बना।
लगन और कठिन अभ्यास से उन्होंने खुद को पैरा-स्विमिंग में साबित किया।
अक्टूबर 2024 में 24वीं राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप, गोवा में:
  •  100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक (SB4) – स्वर्ण पदक
  •  50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक (SB4) – स्वर्ण पदक
  •  200 मीटर इंडिविजुअल मेडली (SM5) – रजतपदक पदक
साथ ही उन्होंने अक्टूबर 2023 में चीन के हांगझोउ में आयोजित 4वें एशियाई पैरा खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।

सम्मान और प्रेरणा : 

आज राजकुमार हीरोजीत सिंह लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन उन्हें पार करने का जुनून ही आपको सफल बनाता है।

उनकी यह सोच  " मैं अपाहिज नहीं, एक योद्धा हूँ"

हर उस व्यक्ति के लिए ताकत बन गई है जो किसी न किसी संघर्ष से गुजर रहा है।

प्रेरक वक्ता और समाज का पथप्रदर्शक : 

आज हीरोजीत सिंह ना सिर्फ एक पैरा-एथलीट हैं, बल्कि वे एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। वे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से पीड़ित लोगों के लिए एक आशा की किरण बन चुके हैं। वे लोगों को बताते हैं कि जीवन में हार नहीं, हौसला मायने रखता है।

 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्र.1: राजकुमार हीरोजीत सिंह कौन हैं?

उत्तर: वह मणिपुर से हैं और भारतीय वायुसेना के एक पूर्व अधिकारी हैं, जिन्होंने एक एक्सीडेंट के बाद व्हीलचेयर पर जीवन बिताते हुए भी भारत का नाम पैरा-स्विमिंग में रोशन किया।

प्र.2: उनका एक्सीडेंट कब हुआ था?

उत्तर: यह हादसा उनकी ड्यूटी के दौरान हुआ, जिसमें उन्हें गंभीर रीढ़ की चोट लगी और वे पैरालाइज हो गए।

प्र.3: उन्होंने कौन-कौन से मेडल जीते हैं?

उत्तर: हीरोजीत सिंह ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पैरा-स्विमिंग मेडल जीते हैं। (विस्तृत जानकारी समय के साथ उपलब्ध कराई जा सकती है)

प्र.4: क्या वह अब भी सक्रिय हैं?

उत्तर: जी हां, वह आज भी एक सक्रिय पैरा-एथलीट, मोटिवेशनल स्पीकर और सोशल मोटिवेटर के रूप में कार्यरत हैं।

प्र.5: उनसे क्या सीख मिलती है?

उत्तर: कि ज़िंदगी में कोई भी परिस्थिति आखिरी नहीं होती। अगर आपके पास जज़्बा और हौसला है, तो आप फिर से उड़ान भर सकते हैं।

Conclusion:

स्क्वाड्रन लीडर राजकुमार हीरोजीत सिंह का जीवन साहस, संकल्प और संघर्ष की मिसाल है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल रास्ता रोका नहीं जा सकता। चाहे आसमान हो या तैराकी का मैदान, उन्होंने हर चुनौती को आत्मविश्वास और मेहनत से पार किया।

उनकी कहानी हम सभी को यह सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उनका समर्पण न केवल भारतीय वायुसेना के प्रति, बल्कि समाज के प्रति भी प्रेरणादायक है। वे हमें यह संदेश देते हैं कि मजबूत इच्छाशक्ति और परिवार व समाज का समर्थन मिलकर किसी भी कठिनाई को अवसर में बदल सकते हैं।


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